Wel-Come to Purndhenu Panchgavya Aushadhalaya
अधिकांश विदेशी गोवंश (हॅालस्टीन, जर्सी, एच एफ आदि) के दूध में ‘बीटा कैसीन ए1’ नामक प्रोटीन पाया जाता है जिससे अनेक असाध्य रोग पैदा होते हैं। पांच रोग होने के स्पष्ट प्रमाण वैज्ञानिकों को मिल चुके हैं।
- इस्चीमिया हार्ट ड़िजीज (रक्तवाहिका नाड़ियों का अवरुद्ध होना)।
- मधुमेह-मिलाईटिस या डायबिट़िज टाईप-1 (पैंक्रिया का खराब होना जिसमें इन्सूलीन बनना बन्द हो जाता है)।
- आटिज़्म (मानसिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म होना)।4 – शिजोफ्रेनिया (स्नायु कोषों का नष्ट होना तथा अन्य मानसिक रोग)।
- सडन इनफैण्ट डैथ सिंड्रोम (बच्चे किसी ज्ञात कारण के बिना अचानक मरने लगते हैं)।
- इसके अलावा जर्सी नस्ल की गाय का दूध पीने से 30 प्रतिशत कैंसर बढने की संभावना हैं – नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका।
- गाय अपने सींग के माध्यम से काॅस्मिक पाॅवर ग्रहण करती हैं – रूडल स्टेनर,जर्मन वैज्ञाानिक
- गोबर की खाद की जगह रासायनिक खाद का उपयोग करने के कारण महिलाओं का दूध दिन प्रतिदिन विषैला होता जा रहा हैं – डाॅ. विजयलक्ष्मी सेन्टर फाॅर इण्डियन नोलिज सिस्टम।
- गौमूत्र के उपयोग से हदय रोग दूर होता है तथा पेशाब खुलकर होता है कुछ दिन तक गौमूत्र सेवन से धमनियों में रक्त का दबाव स्वाभाविक होने लगता हैं, गौमूत्र सेवन से भूख बढती है, यह पुराने चर्म रोग की उत्तम औषधि है – डाॅ. काफोड हैमिल्टन, ब्रिटेन।
- गौमूत्र रक्त में बहने वाले दूषित कीटाणुओं का नाश करता है – डाॅ.सिमर्स, ब्रिटेन।
- विश्व में केवल गौमाता ही ऐसा दिव्य प्राणी है जो अपनी निश्वास में आॅक्सीजन छोडती हैं – कृषि वैज्ञानिक डाॅ. जूलिशस एवं डाॅ. बुक जर्मन।
- शहरों से निकलने वाले कचरे पर गोबर के घोले को डालने से दुर्घन्ध पैदा नहीं होती है व कचरा खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता हैं – डाॅ.कान्ति सेन सर्राफ मुम्बई।
- गौ दूध में विद्यमान सेरिब्रासाइय मस्तिक और स्मरण शक्ति के विकास में सहायक होती हैं साथ ही एम.डी.जी.आई. प्रोटीन के कारण रक्तर्कोँणकाओं में कैंसर प्रवेश नहीं कर सकता हैं – प्रो. रानाल्ड गौ रायटे कारनेल विश्व विद्यालय।
- समस्त दुधारू प्राणियों में गाय ही एक ऐसा प्राणी हे जिसकी बडी आंत 180 फीट लम्बी होती है इसकी विशेषता यह है कि जो चारा ग्रहण करती है उससे दुग्ध में केरोटीन नामक पदार्थ बनता है यह मानव शरीर में पॅंहूचकर विटामीन ए तैयार करता है तो नेत्र ज्योति के लिए आवश्यक है।
- गौमाता के गोबर में हैजे के कीटाणुओं को समाप्त करने की अद्भूत क्षमता होती है – प्रसिद्ध डाॅ. किंग मद्रास।
- जिन घरों में गौमाता के गोबर से लिपाई-पुताई होती है वह घर रेडियों विकिरण से सुरक्षित रहते है – प्रसिद्ध वैज्ञानिक शिरोवीच, रूस।
- गोमुत्र में विषैले तत्व(Toxic Constituent) नही होते है, जैसे Arsenic, Lead, Mercury आदि आदि – कृषि विश्वविद्यालय, बीकानेर, राजस्थान के वैज्ञानिक प्रोफेसर ए के घोसाल।
गोमुत्र में प्राकृतिक कॉपर होता है, जो कि मनुष्य शरीर मे पहुँचकर स्वर्ण धातु में परिवर्तित होता है। स्वर्ण में सर्वरोगनाशक शक्ति होती है, इसी कारण वेदों में गौमूत्र को सभी तरह के रोगों की चिकित्सा कही है। इसी कॉपर के कारण गोमूत्र कभी भी खराब नही होता, यह Antibiotic है जो हमेशा के लिये सुरिक्षत रहता है, इसी कारण इसका सेवन करना, आयुर्वेदिक रसायन सेवन जैसा है – आयुर्वेद, योग, आधात्म एवं आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धांतों, अवधारणाओं और विचारों के माध्यम से ज्ञान से अर्जित डेटा पर आधारित पूर्णधेनु योग शोध संथान, काशीपुर उत्तराखंड।