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देसी गाय का दूध (A2 Milk – भारतीय नस्ल की गायों जैसे बद्री, साहीवाल, गिर, लाल सिंधी, हरियाणा, थारपारकर आदि से प्राप्त किया गया दूध A2 मिल्क की श्रेणी में आता है।) क्यों हैं अमृत समान ?
A1 गाय के दूध में A1 बीटा-केसीन होता है और A2 गाय के दूध में A2 बीटा-केसीन होता है। हाल ही में हुए शोध बताते हैं कि A1 दूध में पाया जाने वाला बीटा-केसीन दिल की बीमारी, टाइप-1 डायबिटीज़ का ख़तरा बढ़ाता है और यह इंफ्लामेटरी भी होता है।
ओपीओइड पेप्टाइड क्या है (BCM 7)
BCM 7 पर की गई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने बताया कि, A2 दूध को पचाना आसान होता है। A1 बीटा केसीन वाले दूध में ज्यादा मात्रा में BCM 7 होता है। यदि यह दूध बच्चों को दिया जाए तो उनमें मधुमेह की समस्या होनें की संभावना बढ़ जाती है। इस बात की पूरी जानकारी लेने के लिए स्कॅन्डिनेवियन और नीदरलैंड में शोधकर्ताओं ने इस पर रिसर्च की है। जिससे सामने आया कि, BCM 7 स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में दूध पर कई अनुसंधान के आधार पर वैज्ञानिक कीथ बुडफ़ोर्ड ने अपनी पुस्तक Devil in the Milk ( दूध में राक्षस) में बताया है कि जर्सी गाय का दूध पीने से मधुमेह, शिजोफ्रेनिया, ह्रदय रोग और मंदबुद्धि जैसी बीमारियां पनपती है, विषेकर 14 वर्ष तक कि आयु के बच्चों को जर्सी, होल्स्टीन-फ्रेज़ियन का दूध बिल्कुल नही दिया जाना चाहिये।
A1 और A2 में क्या अन्तर है
लगभग 12 तरह के बीटा केसीन होते है। उनमे से ए-1 तथा ए-2 बीटा केसीन महत्वपूर्ण होते है। ए-2 की एमिनो एसिड़ श्रृंखला (कड़ी) में 67 वें स्थान पर ‘प्रोलीन’ होता है। जबकि ए-1 बीटा केसीन में ‘प्रोलीन’ के स्थान पर ‘हिस्टिडीन’ नामक अमीनो-अम्ल होता है।
A2 दूध (भारतीय पारम्परिक गाय) के क्या फायदे है
गाय का दूध पृथ्वी पर सर्वोत्तम आहार है। उसे मृत्युलोक का अमृत कहा गया है। मनुष्य की शक्ति एवं बल को बढ़ाने वाला गाय का दूध जैसा दूसरा कोई श्रेष्ठ पदार्थ इस त्रिलोकी में नहीं है। पंचामृत बनाने में इसका उपयोग होता है। गाय का दूध पीला होता है और सोने जैसे गुणों से युक्त होता है। केवल गाय के दूध में ही विटामिन ए होता है, किसी अन्य पशु के दूध में नहीं। गाय का दूध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, मुलायम, चिकनाई से युक्त, मधुर, शीतल, रूचिकर, बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, स्मृतिवर्धक, जीवनदायक, रक्तवर्धक, वाजीकारक, आयुष्यकारक एवं सर्वरोग को हरनेवाला है। कभी नहीं होगा कैंसर🦀। देसी गाय की पीठ पर मोटा सा हम्प होता है ! जिसमे सूर्यकेतु☀ नाड़ी होती हैं, जो सूर्य की किरणों के संपर्क में आते ही अपने दूध में स्वर्ण का प्रभाव छोड़ती हैं। जिस कारण गाय के दूध में स्वर्ण तत्व समा जाते हैं। देसी गाय का दूध पीने से कभी भी कैंसर का रोग नहीं होगा। देशी गाय के दूध में अनेको खनिज पौषक तत्व होते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के एमिनो एसिड, 11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 25 प्रकार के खनिज तत्त्व, 16 प्रकार के नाइट्रोजन यौगिक, 4 प्रकार के फास्फोरस यौगिक, 2 प्रकार की शर्करा, इसके अलावा मुख्य खनिज सोना, ताँबा, लोहा, कैल्शियम, आयोडीन, फ्लोरिन, सिलिकॉन आदि भी पाये जाते हैं। इन सब तत्त्वों के विद्यमान होने से गाय का दूध एक उत्कृष्ट प्रकार का रसायन (टॉनिक) है, जो शरीर में पहुँचकर रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य को समुचित मात्रा में बढ़ाता है।
यह पित्तशामक, बुद्धिवर्धक और सात्त्विकता को बढ़ाने वाला है। गाय के दूध से 1 ग्राम भी कोलोस्ट्रोल नहीं बढ़ता ! ज़हर भी समा लेती हैं, यदि गाय कोई विषैला पदार्थ खा जाती है तो उसका प्रभाव उसके दूध में नहीं आता। गाय के शरीर में सामान्य विषों को पचाने की अदभुत क्षमता है। ये ज़हर देसी गाय के गले के नीचे लटकने वाले मांस में ही रह जाता हैं। एक शोध किया गया जिस में हर रोज़ देसी गाय को और अमेरिकन गाय को भोजन में थोड़ा थोड़ा ज़हर दिया गया , और जब उनका दूध निकाला गया तो देशी गाय के दूध में कोई भी ज़हरीला तत्व नहीं मिला और अमेरिकन गाय में वही ज़हर पाया गया जो उसको खिलाया गया। अनेक बीमारियो में हैं इसके फायदे। गाय का दूध, जीर्णज्वर, मानसिक रोगों, मूर्च्छा, भ्रम, संग्रहणी, पांडुरोग, दाह, तृषा, हृदयरोग, शूल, गुल्म, रक्तपित्त, योनिरोग आदि में श्रेष्ठ है। गाय को शतावरी खिलाकर उस गाय के दूध पर मरीज को रखने से क्षय रोग (T.B.) मिटता है। कारनेल विश्वविद्यालय के पशुविज्ञान के विशेषज्ञ प्रोफेसर रोनाल्ड गोरायटे कहते हैं कि गाय के दूध से प्राप्त होने वाले MDGI प्रोटीन के कारण शरीर की कोशिकाएँ कैंसरयुक्त होने से बचती हैं। गाय के दूध से कोलेस्टरोल नहीं बढ़ता बल्कि हृदय एवं रक्त की धमनियों के संकोचन का निवारण होता है। इस दूध में दूध की अपेक्षा आधा पानी डालकर, पानी जल जाये तब तक उबालकर पीने से कच्चे दूध की अपेक्षा पचने में अधिक हल्का होता है।
गाय के दूध में उसी गाय का घी मिलाकर पीने से और गाय के घी से बने हुए हलुए को, सहन हो सके उतने गर्म-गर्म कोड़े जीभ पर फटकारने से कैंसर मिटने की बात जानने में आयी है। गाय के दूध में दैवी तत्त्वों का निवास है। गाय के दूध में अधिक से अधिक तेज तत्व एवं कम से कम पृथ्वी तत्व होने के कारण व्यक्ति प्रतिभा सम्पन्न होता है और उसकी ग्रहण शक्ति (Grasping Power) खिलती है। ओज-तेज बढ़ता है। इस दूध में विद्यमान ‘सेरीब्रोसाडस’ तत्व दिमाग एवं बुद्धि के विकास में सहायक है। रेडियोधर्मी एवं मोबाइल विकिरणों के प्रभाव को भी कर देता है नष्ट। केवल गाय के दूध में ही Stronitan तत्व है जो कि अणुविकिरणों का प्रतिरोधक है। Russian वैज्ञानिक (प्रसिद्ध वैज्ञानिक शिरोविच) गाय के घी-दूध को एटम बम के अणु कणों के विष का शमन करने वाला मानते हैं और उसमें रासायनिक तत्व नहीं के बराबर होने के कारण उसके अधिक मात्रा में पीने से भी कोई ‘साइड इफेक्ट’ या नुकसान नहीं होता। तुरंत शक्ति देना वाला हैं इसका दूध। प्रतिदिन गाय के दूध के सेवन से तमाम प्रकार के रोग एवं वृद्धावस्था नष्ट होती है। उससे शरीर में तत्काल वीर्य उत्पन्न होता है। एलोपैथी दवाओं, रासायनिक खादों, प्रदूषण आदि के कारण हवा, पानी एवं आहार के द्वारा शरीर में जो विष एकत्रित होता है उसको नष्ट करने की शक्ति गाय के दूध में है।