Wel-Come to Purndhenu Panchgavya Aushadhalaya
भोजन करने में रुचि न हो, मुख में भोजन होने पर उसका स्वाद का न होना अरुचि (Anorexia) है।
भूख न लगने के कारण
- तनाव, अवसाद वर्कलोड, असमय भोजन, इंग्लिश दवाओं का प्रयोग का मुख्य कारण होता है, स्वाद ग्रंथि निम्न कारणों से मंद पड़ जाती है
- एक जैसा भोजन करते रहना, जिस कारण जीभ दूसरे रसों का स्वाद लेना भूल जाती है, जबकि मानव जीभ में 10000 स्वाद कलिकाएँ होती हैं।
- असमय भोजन करते रहना, इससे शरीर के पाचक एंजाइम कन्फ्यूज और सुस्त पड़ जाते है।
- मानसिक तनाव, अवसाद, क्रोध, भय आदि भावों से ह्रदय दोष में वृद्धि होकर भोजन में अरुचि ।
- बासी, ठंडा और विकृत भोजन को करते रहने से।
- भोजन में बाल, नाखून, पसीना या तामसिक सूक्ष्म कीट का प्रेवेश होना।
- गरिष्ठ या भारी भोजन करते रहने और व्यायाम या शारीरिक मेहनत न करने से, जठराग्नि मंद पड़ने लगती है।
- मस्तिष्क और आँते एक दूसरे के लिये भाई बहन होते है। जब हमारा मस्तिष्क किसी विशेष व्यक्ति या वस्तु के प्रति भावनात्मक लगाव पैदा कर लेता है, तो आँते भी मस्तिष्क की भांति सोचना शुरू कर देती है, जिस कारण भूख खत्म हो जाती है। मस्तिष्क शरीर के लिये पर्याप्त न्यूट्रिशन सांसों के माध्यम से प्राणों से लेना शुरू कर देता है। इस तरह से शरीर लंबे समय तक भूखा प्यासा जीवित रह लेता है।
लक्षण
- अरुचि(Anorexia) मे भूख कम लगती है, दांतो में झनझनाहट, मुख का कसैलापन, मुख में खट्टी गंध, मूर्च्छा (हल्की वेहोशी), ठंड का लगना, पीड़ा (दर्द) की अनुभूति।
अरुचि(Anorexia) मे मानसिक लक्षण
- शोक, भय, चिंता, क्रोधादि मानसिक भावों, जागते रहने से, अप्रिय भोजन के सेवन एवं अप्रिय गंध से सूंघने से, किसी व्यक्ति, वस्तु से अधिक लगाव से, तनावपूर्ण स्थिति में रहने से अरुचि(Anorexia) हो जाती है।
अरुचि(Anorexia) (भोजन में स्वाद का न आना) के उपाय
- खाना खाने से आधा घंटा पहले अजवाइन अर्क 15 साल से छोटे बच्चों को 5 ml + 10 ml पानी मिलाकर ले, वयस्कों को 15 ml + 15 ml पानी मिलाकर दोनो वक़्त के खाने से पहले ले।
- खाना खाने से दो मिनट पहले छोटा सा अदरक का टुकड़ा ले + सेन्दा नमक + नींबू का रस मिलाकर खाये।
- खाना खाने के बाद कवल क्रिया (मुँहू में पानी भरकर 5 से 10 बार मुँहू में घुमाकर पानी को बाहर निकाल दिया जाए।
- रात को सोने से पहले नाभि में घी या तेल डाले।
Takrarishta
Original price was: ₹600.00.₹530.00Current price is: ₹530.00.Ayurvedic Digestive tonics and herbal enzymes support Indigestion, loss of appetite, loose motions, colitis, piles,…
Ajwain Ark
Original price was: ₹470.00.₹423.00Current price is: ₹423.00.Helpful in Loss of appetite, Abdominal pain, Indigestion, Abdominal heaviness or abdominal fullness, Support in…
पूर्णधेनू योग
- दोनो वक़्त के भोजन से तीन मिनट पहले शीतली प्राणायाम की 3 बार दोहराएं, इसके तुरंत बाद 3 बार शीतकारी प्राणायाम करें। सुभहे खाली पेट नाभि को संतुलित करने हेतु आसान करें।
- सुबह की बासी लार को गुनगुने पानी के साथ पियें।
- दिन में किसी भी समय ताज़े ठंडे पानी से गंडूष क्रिया( मुँहू में अधिक से अधिक ताजा पानी भरकर 5 मिनट तक रखकर, फिर बाहर निकाले।
मानसिक विचार हेतु
- शोकादि मानसिक भावों को नष्ट करने हेतु खुद को मानसिक रूप से संतुलित करें।
- मन को प्रसन्न रखते हुए, मनोनुकूल अन्नपान करें।
- आयुर्वेद में भोजन को ब्रह्म या परमात्मा कहा है। आपको जहाँ भी भोजन करना सबसे अच्छा लगता हो, उसी स्थान की मानसिक कल्पना करके खाना खाने शुरू करना चाहिये, इससे लार स्वाद ग्रंथि या मुँहू में पानी बनेगा, साथ ही अन्न या परमात्मा का आनंद भी मिलेगा। इसी आनंद से प्राण तत्व शरीर मे आ जाते है, जिससे शरीर खुद को अधिकतम सीमा तक स्वास्थ कर लेता है।
- भोजन की थाली के चारो तरफ(घडी की दशा में ) जल घुमाये, ताकि सूक्ष्म अनिष्ट शक्तिया बैक्टीरिया और वायरस भोजन को माध्यम बनाकर पेट मे न जा सके।
- भोजन करते वक्त सुखासन (पालथी लगाकर बैठना) रीढ़ की हड्डी सीधी रहे, ताकि सुषुम्ना नाड़ी के जाग्रत होने से हमे वायुमंडल से चैतन्य का स्रोत प्राण तत्व भोजन में अधिक से अधिक प्राप्त किये जा सके। मनुष्य का सुखासन में भोजन करना नैसर्गिक स्वभाव रहा है। भोजन करते समय बातचीत न करें, अंत मे तीन बार कुल्ला करें।
परहेज़ (अपथ्य) –
- तली चीजे, बाजारू चीजें, डब्बा बंद चीजे, मैदा, मिठाई, अति जल पान, उड़द, जामुन, दूध, गरिष्ठ भोजन न ले।
- मल मूत्र, प्यास, भूख के वेग को न रोकना, क्रोध, लोभ, शोक, बदबू एवं वीभत्स दृश्य से वचाब रखें।
क्या लेना है (पथ्य) –
- सुपाच्य सात्विक भोजन, अनार, घृत, लहसुन, तक्र, दही, तिक्त पदार्थ (पानी पूरी), पोधिना, हरा धनियां की चटनी