Wel-Come to Purndhenu Panchgavya Aushadhalaya
Purndhenu Research
PYSS focuses on conducting in-depth qualitative research in Yoga philosophy and literature. As one of the forerunners in an analysis of Yogic ideologies, GYSS earned the status of Philosophico-Literary Research Department in 2007. Having deep admiration for Yogic literature, Ayurvedacharya Ritin Yogi collected texts from all over, to create a global information databank on Yoga. His systematic approach to Yoga continues to be followed in the ethical, social, philosophical, and spiritual applications of Yoga by various schools of thought.
मेरुदण्ड स्नान से स्टेम सेल उपचार पद्धति- रीढ़ की हड्डी संपूर्ण शरीर और चेतना की आधारशिला है। योग ने हमारे मेरूदंड को 9 चक्रों में बांटा है। पहला मूलाधार और अंतिम सहस्त्रार है। इन दोनों के बीच सात चक्र और है, जो 33 हड्डियां या चेतना के 33 आयाम या वैतरणी नदी में स्थित रहते है। सम्पूर्ण या पूर्ण स्वास्थ्य जीवन (शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक) की कुँजी इसी मेरुदंड में स्थित है। अरण्डी अर्क को पीने के पश्चात रीढ़ की हड्डी को सर्वांगासन में मेरूदंड स्नान शुद्ध जल ट्यूबेल या प्राकृतिक झरने के साथ करने से सूखी वैतरणी नदी में प्राण रूप जल संचालित हो जाता है। मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी मिलकर केंद्रीय तांत्रिक तंत्र (CNS) का निर्माण करते हैं। तांत्रिक तंत्र की अन्य नसें, जो कि मोटर और संवेदी तंत्रिकाएं हैं, परिधीय तांत्रिक तंत्र (PNS) का निर्माण करती हैं, जो कि रीढ़ की हड्डी के ऊतक तंत्रिका कोशिकाओं से भरे होते हैं, जिन्हें न्यूरॉन्स भी कहा जाता है। इन्ही न्यूरॉन्स द्वारा स्टेम सेल्स का निर्माण होता है। यही न्यूरॉन्स वैतरणी नदी में तैरती मछलियां होती है जो कि बहुत रहस्यमय रूप से विलुप्त सी दिखाई पड़ती है। सुखी नर्व L5 से S1, सर्वाइकल नर्व, कमर दर्द, पैरालिसिस, पार्किजिंग या मस्तिष्कीय रोग को ठीक किया जा सकता है। सभी तरह रोगों का ईलाज क़ुदरत है, मेरूदंड स्नान को क़ुदरती रूप से करना होगा……
20/02/2024 गवेषण वैद्य रितिन योगी
पेड़ पर लगा ताजी फल, यदि किसी भाग से सड़ा हुआ हो तो इसका मतलब इस भाग में सेल्स मृत हो गए है, यदि इसी भाग को गोमूत्र दिया जाये तो कुछ दिन बाद सड़ा हुआ भाग ठीक हो जाता है। सड़ा भाग को हम कैंसर कह सकते है, जिसका उपचार गोमुत्र छिपा हुआ है।………..
05/12/2023 गवेषण वैद्य रितिन योगी
सफेद मीठे ज़हर निम्न है …
- सफेद चीनी
- सफेद नमक (आयोडीन नमक)
- सफेद चावल (पॉलिश मुक्त)
- सफेद आटा (गेंहू का आटा और मैदा)
- सफेद दूध (भैस, जर्सी एवं हालिस्टन गाय)
- सफेद रिफाइंड ऑयल एवं बाजारू घी
ये सभी विष(कैमिकल एवं कचरा) भारत मे हरित क्रांति में आते गए। आयुर्वेद में उपरोक्त विषों को कृत्रिम विष बताया है। शार्ङ्गधर ने उपरोक्त विषों को गर विष कहा है। हमारा शरीर का सिस्टम इन कृत्रिम विषों को शरीर से बाहर नही निकाल पाता है, क्योंकि यह विष प्राकृतिक ज़हर(साफ़ बिछु, धतूरा) नही है। उपरोक्त विषों को लेते रहने से पेट, शुगर, हार्ट, ब्लड प्रेशर, किडनी, कैंसर, हड्डियों एवं जोड़ो के रोगों के साथ हमे जीना पड़ता है। ………
14/12/2023 गवेषण वैद्य रितिन योगी
गाय के गोबर को सुखाकर जलाने से अनेक रसायन जैसे मेंथोल, फिनोल, अमोनिया एवं फार्मो लिन आदि आदि उत्सर्जन होता है। अस्पतालों में, प्रेयोगशाला में इनका प्रेयोग किया जाता है। गाय के घी का कांडों व चावल के साथ हवन करने या जलाने पर अत्यंत महत्वपूर्ण गैस जैसे इथीलीन ऑक्साइड, प्रोपलीन ऑक्साइड, फार्मल्डिहाइड आदि गैस बनती है जो जीवाणु रोधक और जीवन रक्षण औषधि होती है…..
पूर्णधेनु शोध संस्थान, काशीपुर उत्तराखंड। 13/12/2023
गोमुखासन क्या है……..?
गोमुखासन हठयोग का एक आसन है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमे गौ का मतलब ‘गाय’ और मुख का मतलब ‘मार्ग’। इसी मार्ग को वैतरणी नदी या स्वर्ग की सीढ़ी कहा जाता है। इसी सीढ़ी को 33 पैड़ी या 33 तत्त्व या चेतना के 33 आयाम या 33 करोड़ देवी देवता कहा जाता रहा है। गोमुखासन से रीढ़ को हड्डी की 33 कशेरुकाओं का alignment संतुलित होता है, सम्पूर्ण कमर की मांसपेशियां एवं रीढ़ की हड्डी उर्ध्गामी हो जाती है। जिससे रीढ़ की हड्डी में स्थित ब्रह्मनाड़ी का मार्ग खुल जाता है। योग में इसी को कुण्डलिनी शक्ति का मार्ग कहा जाता है, जबकि इसी को गव्ययुर्वेदा या आयुर्वेद में गाय की रीढ़ की हड्डी में सूर्यकेतु नाड़ी कहा गया है। रीढ़ की हड्डी सदैव गाय की रीढ़ की हड्डी की भांति कर्व आकर में रहनी चाहिये। गोमुखासन को नग्न पीठ के साथ सूर्यदेव की ओर करके, 33 तत्वों की किरणों के सानिध्य के साथ या अश्व की तरह तेज गति से दौड़ने से रीढ़ की हड्डी अपनी स्वाभाविक पंक्ति में आ जाती है। इससे हमें शारीरिक शक्ति, बौद्धिक शक्ति, इक्छा शक्ति, प्राणशक्ति, आत्मिक शक्ति, विचार शक्ति, स्मरण शक्ति, विलेषण शक्ति, प्रीतिभा शक्ति, कल्पना शक्ति, पाचन शक्ति, प्रभाव शक्ति, वशीकरण शक्ति, प्रजनन शक्ति, जीवन शक्ति, रोग प्रीतरोधक शक्ति, संघर्ष शक्ति, केन्द्रीयकरण शक्ति, नियंत्रण शक्ति, धारण शक्ति, कंठस्थ करने की शक्ति, भाषण शक्ति, पूर्वाभास शक्ति, दूसरे के मनोभाव जानने की शक्ति, प्रेमशक्ति, ऊर्जा प्रवाहन शक्ति, वैचारिक संपर्क शक्ति, अदृश्य शक्ति, सहन शक्ति, नैसर्गिक योग्यता शक्ति आदि असंख्य शक्तियां प्राप्त हो जाती है..
आयुर्वेदाचार्य रितिन योगी 15/12/2023
अमेरिका के कृषि विभाग द्वारा प्रकाशित हुई पुस्तक “द काऊ इज़ ए वन्डरफुल लैबोरेटरी” जरूर पढ़ें..
“THE COW IS A WONDERFUL LABORATORY” के अनुसार प्रकृति ने समस्त जीव जंतुओं और सभी दुग्धधारी जीवों में केवल गाय ही है जिसे ईश्वर ने 180 फुट (2160 इंच ) लम्बी आंत दी है जिसके कारण गाय जो भी खाती-पीती है वह अंतिम छोर तक जाता है!
देसी गाय के दूध के लाभ :-
- जिस प्रकार दूध से मक्खन निकालने वाली मशीन में जितनी अधिक गरारियां लगायी जाती है उससे उतना ही वसा रहित मक्खन निकलता है, इसीलिये गाय का दूध सर्वोत्तम है!
गो वात्सल्य :-
- गाय बच्चा जनने के 18 घंटे तक अपने बच्चे के साथ रहती है और उसे चाटती है इसीलिए वह लाखों बच्चों में भी वह अपने बच्चे को पहचान लेती है जवकि भैंस और जरसी अपने बच्चे को नहीं पहचान पायेगी।
- गाय जब तक अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिलाएगी तब तक दूध नहीं देती है,
- जबकि भैस, जर्सी होलिस्टयन के आगे चारा डालो और दूध दुह लो।
- बच्चो में क्रूरता इसीलिए बढ़ रही है क्योकि जिसका दूध पी रहे है उसके अन्दर ममता नहीं है।
देसी गाय का खीस :-
- बच्चा देने के बाद गाय के स्तन से जो दूध निकलता है उसे खीस, चाका, पेवस, कीला कहते है, इसे तुरंत गर्म करने पर फट जाता है।
- बच्चा देने के 15 दिनों तक इसके दूध में प्रोटीन की अपेक्षा खनिज तत्वों की मात्रा अधिक होती है और लेक्टोज, वसा (फैट) एवं पानी की मात्रा कम होती है।
- खीस वाले दूध में एल्व्युमिन दो गुनी, ग्लोव्लुलिन 12-15 गुनी तथा एल्युमीनियम की मात्रा 6 गुनी अधिक पायी जाती है।
देसी गाय के दूध के लाभ:-
- खीस में भरपूर खनिज है यदि काली गाय का दूध (खीस) एक हफ्ते पिला दें तो वर्षो पुरानी टीबी ख़त्म हो जाती है।
देसी गाय के सींग :–
- गाय की सींगो का आकार सामान्यतः पिरामिड जैसा होता है, जो कि शक्तिशाली एंटीना की तरह आकाशीय उर्जा (कोस्मिक एनर्जी) को संग्रह करने का कार्य सींग करते है।
देसी गाय का ककुद्द (ढिल्ला) :
- गाय के कुकुद्द में सूर्यकेतु नाड़ी होती है जो सूर्य से अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकती है,
- गाय के 40 मन दूध में लगभग 10 ग्राम सोना पाया जाता है जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है इसलिए गाय का घी हलके पीले रंग का होता है।
देसी गाय का दूध :-
- गाय के दूध के अन्दर जल 87% वसा 4%, प्रोटीन 4% , शर्करा 5% , तथा अन्य तत्व 1 से 2% प्रतिशत पाया जाता है!
- गाय के दूध में 8 प्रकार के प्रोटीन, 11 प्रकार के विटामिन्स, गाय के दूध में “कैरोटिन” नामक पदार्थ भैस से दस गुना अधिक होता है!
- भैस का दूध गर्म करने पर उसके पोषक ज्यादातर ख़त्म हो जाते है परन्तु गाय के दूध के पोषक तत्व गर्म करने पर भी सुरक्षित रहते हैं।
देसी गोमूत्र :
- गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है।
- इसके अन्दर ‘कार्बोलिक एसिड‘ होता है जो कीटाणुनाशक है,
- गौ मूत्र चाहे जितने दिनों तक रखें, ख़राब नहीं होता है इसमें कैसर को रोकने वाली ‘करक्यूमिन‘ पायी जाती है।
- गौ मूत्र में नाइट्रोजन, फास्फेट, यूरिक एसिड, पोटेशियम, सोडियम, लैक्टोज, सल्फर, अमोनिया, लवण रहित विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, कई तरह के एंजाइम आदि तत्व पाए जाते है।
- देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से “प्रोपिलीन ऑक्साइड” उत्पन्न होती है जो बारिस लाने में सहायक होती है!
- इसी के मिश्रण से ‘एथिलीन ऑक्साइड‘ गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है।
- गौ मूत्र में मुख्यतः 16 खनिज तत्व पाये जाते है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाता है।
गाय का शरीर :
- गाय के शरीर से पवित्र गुग्गल जैसी सुगंध आती है जो वातावरण को शुद्ध और पवित्र करती है……
- देशी गाय (A2 Milk) दूध का इस्तेमाल करने से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की वृद्धि नही होती है, क्योंकि देशी गाय के दूध में रहने वाले एसेटिक अम्ल कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण करता है
…….गवेषण वैद्य रितिन योगी