Wel-Come to Purndhenu Panchgavya Aushadhalaya
ॐ गऊ ! घुटने में दर्द का कारण बॉडी का एलाइनमेंट डिस्टर्ब होने से है अर्थात् शरीर का टेड़ा-मेड़ा झुकना, चलने या शरीर की बनावट या चाल में गड़बड़ी होने से होता है। नाभि के डिस्टर्ब होने के कारण, बॉडी का एलाइनमेंट बिगड़ जाता है। बॉडी टेड़ी मेडी हो जाती है, जिस कारण बॉडी का बैलेंस बिगड़ जाता है। कार्टिलेज जो नैसर्गिक अवस्था में रहते है, वह शरीर को संतुलित करने के लिये भी आगे पीछे होने लगते है, जिस कारण कार्टिलेज डिजनरेशन होने लगते है, क्योंकि वह अपनी स्वाभाविक पोजीशन में नही रहते, इसी वजह से Synovial Fluid में उपद्रव होने के कारण क्षय होने लगता है। नाभि के डिस्टर्ब होने से शरीर प्राणशक्ति को क्षीण रूप में ग्रहण कर पाता है। प्राणशक्ति की कमी के कारण रक्त में अचानक बदलाव आने लगता है, जिस कारण शरीर के जॉइंट्स में वात ठहरने लगती है, इसी वजह से शरीर के जोड़ों में सूजन और दर्द होने लगता है। गौमूत्र हारसिंगार अर्क जिसमें फूल भी हो के सेवन करने से, नाभि में घृत लगाने के साथ मयूर आसन करने से नाभि अपनी जगह आने लगती है। हारसिंगार अर्क प्राणशक्ति को अपनी और आकर्षित करता है जानुबस्ति के बाद जानुफलकआर्कषण को सुभहे सूर्यदय से पूर्व और सांय सूर्यास्त के पश्चात 10 बार व्यान प्राणों को पूर्ण श्रद्धा से घुटनों में रोकने से घुटनों को ठीक किया जा सकता है। प्राणों का रहस्य श्रद्धा में छिपा है। प्राण गौमूत्र में ठहरते है, क्योंकि गौमूत्र में स्वर्णाश रहता है। स्वर्णाश होने के कारण गौमूत्र सर्वरोगनाशक, आजीवन निरोग रखने की एकमात्र औषधि और कभी न सड़ने बाला होता है।